बीजेपी की कांग्रेस के इस रसूखदार परिवार पर नज़र, कभी भी हो सकता है बड़ा राजनीतिक धमाकाl
BJP is keeping an eye on this influential family of Congress, a big political explosion can happen any time.
सत्य खबर, चंडीगढ़ । अशोक तंवर को बीजेपी में शामिल कर बीजेपी ने बड़ा खेल कर दिया है। अशोक तंवर के बीजेपी में आने से बीजेपी को बड़ा फायदा होने का अनुमान है। लेकिन प्रदेश में बीजेपी की नज़र एक ऐसे परिवार पर है। जो एक नही बल्कि कई जिलों का राजनीतिक समीकरण बदल सकता है। सत्यख़बर उस परिवार के ऊपर से आज पर्दा उठाएगा जो हरियाणा के राजनीतिक समीकरण बदल सकता है ये बताने से पहले आपको ये बताते है कि वो कौन सा परिवार है जिस पर बीजेपी की नज़र है। और उसे बीजेपी में लाने की बड़ी कोशिश हो रही है। वो परिवार है हिसार का जिंदल परिवार ।
ओमप्रकाश जिंदल का हरियाणा की राजनीति में कैसी हैसियत थी ये किसी से छिपा नही है। एक समय तो ऐसा भी था कि बिना इस परिवार के समर्थन के हरियाणा में कोई मुख्यमंत्री नही बनता था। विमान दुर्घटना में ओमप्रकाश जिंदल की मौत के बाद परिवार को निजी क्षति के साथ राजनीतिक नुकसान का भी सामना करना पड़ा। हालांकि की उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी सावित्री जिंदल और उनके बेटे नवीन जिंदल ने परिवार के रसूख को बनाएं रखने में कोई कोर कसर नही छोड़ी है।
अब बीजेपी इस परिवार को पार्टी में लाना चाहती है। लंबे समय से बीजेपी जिंदल परिवार पर डोरे डाल रही थी लेकिन बात नही बन पाई। अब परिवार का भी मन बीजेपी में जाने का है। अब आपको बताते है कि जिंदल परिवार अगर बीजेपी में आता है तो कैसे हरियाणा के कई जिलों के सारे समीकरण बदल जाने है। पहले बात करते है हिसार की ।
हिसार को जिंदल सिटी भी कहा जाता है। हिसार की अर्थव्यवस्था में जिंदल इंडस्ट्री का बहुत बड़ा योगदान है। जिंदल परिवार की पांच बड़ी फैक्ट्री है। इस फैक्ट्री से 200 के करीब छोटे उद्योग जुड़े है। यही नही जिंदल परिवार के कई स्कूल चलते है। जिसमें हजारों बच्चे पढ़ते है। यही नही सामाजिक रूप से परिवार हिसार में खूब सक्रिय रहा है। अब आप सवाल पूछ सकते है कि अगर ये परिवार इतना ही प्रभाव रखता है तो 2014 विधानसभा का चुनाव सावित्री जिंदल कैसे हार गई। इसका जवाब है ज़ी ग्रुप के मालिक सुभाष चंद्रा।
बीजेपी ने भले ही विधानसभा का चुनाव कमल गुप्ता ने लड़ा हो। लेकिन असल मे ये चुनाव सुभाष चंद्रा और सावित्री जिंदल के बीच हुआ। जंहा लोगो ने सुभष चंद्रा के उस सपने पर यकीन किया जिसमें उन्होंने वादा किया था कि वो हिसार को पेरिस बना देंगे। चुनाव हुआ। और सावित्री जिंदल चुनाव हार गई। लेकिन हिसार कभी पेरिस नही बना। हिसार के लोगो को आज भी मलाल है। कि उन्होंने सावित्री जिंदल को क्यों हराया। इस चुनाव के बाद परिवार ने न लोकसभा और न विधानसभा का चुनाव कभी लड़ा। जिसका फायदा बीजेपी को मिला।
अब अगर जिंदल परिवार बीजेपी में शामिल होता है तो बीजेपी को हिसार विधानसभा ही नही बल्कि आसपास के कई विधानसभा में फायदा मिलेगा। हिसार के मौजूदा विधायक कमल गुप्ता के प्रति लोगो मे भारी नाराजगी है। जिसे जिंदल परिवार कम कर सकता है। अब बात करते कुरुक्षेत्र जिले की। कुरुक्षेत्र से ओमप्रकाश जिंदल ही नही। बल्कि नवीन जिंदल भी कई बार सांसद रह चुके है। परिवार ने 2019 का लोकसभा चुनाव भले ही न लड़ा हो। लेकिन सामाजिक रूप से परिवार ने कभी भी जनता का साथ नही छोड़ा है। शादी ब्याह हो या फिर किसी के यहां मातम ।
जिंदल परिवार की तरफ से कोई न कोई पहुचता ही है। यही वजह है कि लोग आज भी परिवार से जुड़े है। अगर नवीन जिंदल बीजेपी में आते है तो कुरुक्षेत्र में भी बड़ा असर होगा। वही अब बात करते है रोहतक की । रोहतक में भी जिंदल परिवार का बड़ा असर रहा है। जिंदल परिवार की रोहतक में भी बड़ी रिश्तेदारी है। जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है। ये वो समीकरण है जिससे बीजेपी हरियाणा में बड़ा खेल कर सकती है। अब देखना है कि जिंदल परिवार कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में आता है या नही।